1 हे परमेश्वर, मेरा चिल्लाना सुन, मेरी प्रार्थना की ओर घ्यान दे।
2 मूर्छा खाते समय मैं पृथ्वी की छोर से भी तुझे पुकारूंगा, जो चट्टान मेरे लिये ऊंची है, उस पर मुझ को ले चला;
3 क्योंकि तू मेरा शरणस्थान है, और शत्रु से बचने के लिये ऊंचा गढ़ है॥
4 मै तेरे तम्बू में युगानुयुग बना रहूंगा। मैं तेरे पंखों की ओट में शरण लिये रहुंगा
5 क्योंकि हे परमेश्वर, तू ने मेरी मन्नतें सुनीं, जो तेरे नाम के डरवैये हैं, उनका सा भाग तू ने मुझे दिया है॥
6 तू राजा की आयु को बहुत बढ़ाएगा; उसके वर्ष पीढ़ी पीढ़ी के बराबर होंगे।
7 वह परमेश्वर के सम्मुख सदा बना रहेगा; तू अपनी करूणा और सच्चाई को उसकी रक्षा के लिये ठहरा रख।
8 और मैं सर्वदा तेरे नाम का भजन गा गाकर अपनी मन्नतें हर दिन पूरी किया करूंगा॥