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परमेश्वर की सच्चाई और न्याय के लिये स्तुतिगान
१ यहोवा की स्तुति करो। मैं सीधे लोगों की गोष्ठी में
और मण्डली में भी सम्पूर्ण मन से यहोवा का धन्यवाद करूँगा।
२ यहोवा के काम बड़े हैं,
जितने उनसे प्रसन्न रहते हैं, वे उन पर ध्यान लगाते हैं। (भज. 143:5)
३ उसके काम वैभवशाली और ऐश्वर्यमय होते हैं,
और उसका धर्म सदा तक बना रहेगा।
४ उसने अपने आश्चर्यकर्मों का स्मरण कराया है;
यहोवा अनुग्रहकारी और दयावन्त है। (भज. 86:5)
५ उसने अपने डरवैयों को आहार दिया है;
वह अपनी वाचा को सदा तक स्मरण रखेगा।
६ उसने अपनी प्रजा को जाति-जाति का भाग देने के लिये,
अपने कामों का प्रताप दिखाया है*।
७ सच्चाई और न्याय उसके हाथों के काम हैं;
उसके सब उपदेश विश्वासयोग्य हैं,
८ वे सदा सर्वदा अटल रहेंगे,
वे सच्चाई और सिधाई से किए हुए हैं।
९ उसने अपनी प्रजा का उद्धार किया है;
उसने अपनी वाचा को सदा के लिये ठहराया है।
उसका नाम पवित्र और भययोग्य है। (लूका 1:49,68)
१० बुद्धि का मूल यहोवा का भय है;
जितने उसकी आज्ञाओं को मानते हैं,
उनकी समझ अच्छी होती है।
उसकी स्तुति सदा बनी रहेगी।