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महिमामय राजा और उसके राज्य
दाऊद का भजन
१ पृथ्वी और जो कुछ उसमें है यहोवा ही का है;
जगत और उसमें निवास करनेवाले भी।
२ क्योंकि उसी ने उसकी नींव समुद्रों के ऊपर दृढ़ करके रखी*,
और महानदों के ऊपर स्थिर किया है।
३ यहोवा के पर्वत पर कौन चढ़ सकता है?
और उसके पवित्रस्थान में कौन खड़ा हो सकता है?
४ जिसके काम निर्दोष और हृदय शुद्ध है,
जिसने अपने मन को व्यर्थ बात की ओर नहीं लगाया,
और न कपट से शपथ खाई है।
५ वह यहोवा की ओर से आशीष पाएगा,
और अपने उद्धार करनेवाले परमेश्वर की
ओर से धर्मी ठहरेगा।
६ ऐसे ही लोग उसके खोजी है,
वे तेरे दर्शन के खोजी याकूबवंशी हैं। (सेला)
७ हे फाटकों, अपने सिर ऊँचे करो!
हे सनातन के द्वारों, ऊँचे हो जाओ!
क्योंकि प्रतापी राजा प्रवेश करेगा।
८ वह प्रतापी राजा कौन है?
यहोवा जो सामर्थी और पराक्रमी है,
परमेश्वर जो युद्ध में पराक्रमी है!
९ हे फाटकों, अपने सिर ऊँचे करो
हे सनातन के द्वारों तुम भी खुल जाओ!
क्योंकि प्रतापी राजा प्रवेश करेगा!
१० वह प्रतापी राजा कौन है?
सेनाओं का यहोवा, वही प्रतापी राजा है। (सेला)