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यहोवा की ओर लौट आने का प्रतिफल
1 आओ, हम यहोवा के पास लौट आयें।
उसने आघात दिये थे वही हमें चंगा करेगा।
उसने हमें आघात दिये थे वही उन पर मरहम भी लगायेगा।
2 दो दिन के बाद वही हमें फिर जीवन की ओर लौटायेगा।
तीसरे दिन वह ही हमें उठा कर खड़ा करेगा,
हम उसके सामने फिर जी पायेंगे।
3 आओ, यहोवा के विषय में जानकारी करें।
आओ, यहोवा को जानने का कठिन जतन करें।
हमको इसका पता है कि वह आ रहा है
वैसे ही जैसे हम को ज्ञान है कि प्रभात आ रहा है।
यहोवा हमारे पास वैसे ही आयेगा जैसे कि
बसंत कि वह वर्षा आती है जो धरती को सींचती है।
लोग सच्चे नहीं हैं
4 हे एप्रैम, तुम ही बताओ कि मैं (यहोवा) तुम्हारे साथ क्या करूँ?
हे यहूदा, तुम्हारे साथ मुझे क्या करना चाहिये?
तुम्हारी आस्था भोर की धुंध सी है।
तुम्हारी आस्था उस ओस की बूँद सी है जो सुबह होते ही कही चली जाती है।
5 मैंने नबियों का प्रयोग किया
और लोगों के लिये नियम बना दिये।
मेरे आदेश पर लोगों का वध किया गया
किन्तु इन निर्णयों से भली बाते ऊपजेंगी।
6 क्योंकि मुझे सच्चा प्रेम भाता है
न कि मुझे बलियाँ भाती हैं,
मुझे भाता है कि परमेश्वर का ज्ञान रखें,
न कि वे यहाँ होमबलियाँ लाया करें।
7 किन्तु लोगों ने वाचा तोड़ दी थी जैसे उसे आदम ने तोड़ा था।
अपने ही देश में उन्होंने मेरे संग विश्वासघात किया।
8 गिलाद उन लोगों की नगरी है, जो पाप किया करते हैं।
वहाँ के लोग चालबाज हैं और वे औरों की हत्या करते हैं।
9 जैसे डाकू किसी की घात में छुपे रहते हैं कि उस पर हमला करें,
वैसे ही शकेम की राह पर याजक घात में बैठे रहते हैं।
जो लोग वहाँ से गुजरते हैं वे उन्हें मार डालते हैं।
उन्होंने बुरे काम किये हैं।
10 इस्राएल की प्रजा में मैंने भयानक बात देखी है।
एप्रैम परमेश्वर के हेतू सच्चा नहीं रहा था।
इस्राएल पाप से दोषयुक्त हो गया है।
11 यहूदा, तेरे लिये भी एक कटनी का समय है।
यह उस समय होगा, जब मैं अपने लोगों को बंधुआयी से लौटा कर लाऊँगा।