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असावधानी में किए गए विभिन्न अपराध
1 “यदि कोई व्यक्ति न्यायालय में गवाही देने के लिए बुलाया जाता है या सुना है, उसे नहीं बताता तो वह पाप करता है। उसे उसके अपराध के लिए अवश्य ही दण्ड भोगना होगा।
2 “अथवा कोई व्यक्ति किसी ऐसी चीज को छूता है जो अशुद्ध है जैसे अशुद्ध जंगली जानवर का शव या अशुद्ध मवेशी का शव अथवा रेंगने वाले किसी अशुद्ध जन्तु का शव और उस व्यक्ति को इसका पता भी नहीं चलता कि उसने उन चीजों को छुआ है, तो भी वह बुरा करने का दोषी होगा।
3 “किसी भी व्यक्ति से बहुत सी ऐसी चीज़ें निकलती है जो शुद्ध नहीं होती। कोई व्यक्ति इनमें से दूसरे व्यक्ति की किसी भी अशुद्ध वस्तु को अनजाने में ही छू लेता है तब वह दोषी होगा।
4 “अथवा ऐसा हो सकता है कि कोई व्यक्ति अच्छा या बुरा करने का जल्दी मं वचन दे देता हैं। लोग बहुत प्रकार के वचन जल्दी में वचन दे देते हैं। यदि कोई व्यक्ति ऐसा वजन दे देता है और उसे भूल जाता है तो वह अपराधी है और जब उसे अपना वचन याद आता है तब भी वह अपराधी है।
5 अत: यदि वह इनमें से किसी का दोषी है तो उसे अपनी बुराई स्वीकार करनी चाहिए।
6 उसे परमेश्वर को अनपे किए हुए पाप के लिए दोषबलि लानी चाहिए। उसे दोषबलि के रूप में अपनी रेवड़ से एक मादा जानवर लाना चाहिए। यह मेमना या बकरी हो सकता है। तब याजक वह कार्य करेगा जिससे उस व्यक्ति के पाप का भुगतान होगा।
7 “यदि कोई व्यक्ति मेमना भेंट करने में असमर्थ है तो उसे दो फ़ाख्ता या कबूतर के दो बच्चे यहोवा को भेंट में देना चाहिए। यह उसके पाप के लिए दोषबलि होगी। एक पक्षी दोषबलि के लिए होना चाहिए तथा दूसरा होमबलि के लिए होना चाहिए।
8 उस व्यक्ति को चाहिए कि वह उन पक्षियों को याजक के पास लाए। पहले याजक को दोषबलि के रूप में एक पक्षी को चढ़ाना चाहिए। याजक पक्षी की गर्दन को मोड़ देगा। किन्तु याजक पक्षी को दो भागों में नहीं बाँटेगा।
9 तब याजक को दोषबलि के खून को वेदी के सिरों पर डालना चाहिए। तब याजक को बचा हुआ खून वेदी की नींव पर डालना चाहिए। यह दोषबलि है।
10 तब याजक को नियम के अनुसार होमबलि के रूप में दूसरे पक्षी की भेंट चढ़ानी चाहिए। इस प्रकार याजक उस व्यक्ति के अपराधों का भुगतान देगा। और परमेश्वर उस व्यक्ति को क्षमा करेगा।
11 “यदि कोई व्यक्ति दो फाख्ता या दो कबूतर भेंट चढ़ाने में असमर्थ हो तो उसे एपा का दसवाँ भाग महीन आटा लाना चाहिए। यह उसकी दोषबलि होगी। उस व्यक्ति को आटे पर तेल नहीं डालना चाहिए। उसे इस पर लोबान नहीं रखना चाहिए क्यों यह दोषबलि है।
12 व्यक्ति को आटा याजक के पास लाना चाहिए। याजक इसमें से मुट्ठी भर आटा निकालेगा। यह स्मृति भेंट होगी। याजक यहोवा को आग द्वारा दी गई भेंट पर वेदी के ऊपर आटे को जलाएगा। यह दोषबलि है।
13 इस प्रकार याजक व्यक्ति के अपराधों के लिए भुगतान करेगा और यहोवा उस व्यक्ति को क्षमा करेगा। बची हुई दोषबलि याजक की वैसे ही होगी जैसे अन्नबलि होती है।”
14 यहोवा ने मूसा से कहा,
15 “कोई व्यक्ति यहोवा की पवित्र वस्तुओं के प्रति अकस्मात् कोई गलती कर सकता है। तो उस व्यक्ति को एक दोष रहित मेढ़ा लाना चाहिए। यह मेढ़ा यहोवा के लिए उसकी दोषबलि होगी। तुम्हें उस मेढ़े का मुल्य निर्धारित करने के लिए अधिकृत मानक का प्रयोग करना चाहिए।
16 उस व्यक्ति को पवित्र चीजों के विपरीत किये गये पाप के लिए भुगतान अवश्य करना चाहिए। जिन चीज़ों का उसने वायदा किया है, वे अवश्य देनी चाहिए। उसे मूल्य में पाँचवाँ भाग जोड़ना चाहिए। उसे यह धन याजक को देना चाहिए। इस प्रकार याजक दोषबलि के मेढ़े द्वारा उस व्यक्ति के पाप को धोएगा और यहोवा उसके पाप को क्षमा करेगा।
17 “यदि कोई व्यक्ति पाप करता है और जिन चीजों को न करने का आदेश यहोवा ने दिया है। उन्हें करता हो इस बात का कोई महत्व नहीं कि वह इसे नहीं जानता । वह व्यक्ति अपराधी है और उसे अपने पाप का फल भोगना होगा।
18 उस व्यक्ति को एक निर्दोष मेढ़ा अपनी रेवड़ से याजक के पास लाना चाहिए। मेढ़ा दोषबलि होगा। इस प्रकार याजक उस व्यक्ति के उस पाप का भुगतान करेगा जिसे उसने अनजाने में किया। यहोवा उस व्यक्ति को क्षमा करेगा।
19 व्यक्ति अपराधी हो चाहे वह यह न जानता हो कि वह पाप कर रहा है। इसलिए उसे यहोवा को दोषबलि देना होगी।”